5 Tips about गणेश आरती You Can Use Today

व्याख्या – श्री हनुमान जी को उनकी स्तुति में श्री लक्ष्मण–प्राणदाता भी कहा गया है। श्री सुषेण वैद्य के परामर्श के अनुसार आप द्रोणाचल पर्वत पर गये, अनेक व्यवधानों एवं कष्टों के बाद भी समय के भीतर ही संजीवनी बूटी लाकर श्री लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की। विशेष स्नेह और प्रसन्नता के कारण ही किसी को हृदय से लगाया जाता है। अंश की पूर्ण परिणति अंशी से मिलने पर ही होती है, जिसे श्री हनुमन्तलाल जी ने चरितार्थ किया।

ब्रह्मा के हाथों में कमंडल, विष्णु के चक्र, व शिव के त्रिशूल धारण है।

अर्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।

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एकानन चतुरानन पंचानन राजे। शिव पंचानन राजे।

अर्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।

 “जो भी आपकी शरण में चलके आते है, उस सभी को आनन्द ही प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक हों, तो फिर किसी का डर नहीं रहता है।”

[Saba=all; sukha=contentment, pleasures; Lahai=remain; tumhari=as part of your; sarana=refuge; tuma=you; rakshaka=protector; kahoo ko=why? or of whom; darana=be scared]

भावार्थ– आपने अत्यन्त लघु रूप धारण कर के माता सीता जी को दिखाया और अत्यन्त विकराल रूप धारण कर लंका नगरी को जलाया।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

 “आपने महाराज सुग्रीव जी को श्रीराम जी से मिलाकर उपकार किया है, जिसके कारण वे राजा बन पाए।”

आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।

 “आप को श्री राम चरित मानस को सुनने में आनन्द रस मिलता है।श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में विद्यमान रहते है।”

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